शनिवार, 2 जुलाई 2011


                     जय दिल्ली वाली की....



क्या समझेंगे आप देश की इस उलटबांसी से !!
लटक गयी है दिल्ली वाली उसे बचाने फांसी से !!
जिसने कुत्सित हथकंडो से भारत को बर्बाद किया,
इटली वाली उसको पूजे सोने-चांदी-कांसी से !!

अफजल को फांसी का मुहूर्त जाने किस दिन आएगा !
और कसाब हमारी रोटियां अभी कितने दिन खायेगा!!
आतंकी सूबों के मन में फिर मयूरा नाचा है!
जेलों में गुंडों की खातिर अपने मुंह पे तमाचा है!!

दिल्ली वाले कुम्भकरणों की नींद खुलेगी किस पल में !
कब तक राजनीति देखेंगे हर समस्या के हल में!!
हिम्मत रख कर देश बचा लो शातिर हथकंडे से!!
लटका दो कातिलों को तत्क्षण फांसी के फंदे से!!

3 टिप्‍पणियां:

  1. I disagree with the thoughts.. खून का बदला खून कबीलाई ख्याल है... कसाब के खिलाफ केस चल रहा है.. और वो अकेला नहीं है ऐसे कई है... इन्साफ selective नहीं हो सकता...

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  2. योगेश जी , मैं आप से पूरी तरह सहमत हूँ , कातिलों की सजा मौत से कम कुछ भी नहीं होनी चाहिए . यह आक्रोश बरकरार रखिये , आभार

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  3. @ranjan....ho sakta hai mai bhi aapke vicharo se sahmat na hou..par aapke vichar prakat karne ke adhikar ka me samarthak sada hu....

    @k.kashyap...thanks for such a useful informations

    @shukla ji.....sirG utsah badhane ka aabhar...

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