कौन बनेगा करोडपति
रोजाना की तरह जब होने लगी शाम।
तो टी वी पे आने लगा एक प्रोग्राम...॥
KBC -KBC यानि कौन बनेगा करोड़पति।
जिसको देखते है..श्रीमान--श्रीमान के बच्चे और श्रीमती--॥
सबकी आँखों में एक ही सपना ।
..कि..ये करोड़ का इनाम हो जाये अपना॥
हमारे पडोसी मिस्टर ग्वाला--
जो कर चुके है एक घोटाला--हमसे बोले -लाला!
जो ये इनाम लग जाये करोड़ वाला--
तो बंगला बने एक उत्तरमुखी वाला--
और बने हमारी जीवन संगिनी-युक्तामुखी बाला॥1॥
हमारे मोहल्ले के ही एक राजनेता--
जिन्हें आजकल कोई नहीं सहता--
हमसे बोले -ये प्रोग्राम नहीं क्रांति है--
अजी ये तूफ़ान के पहले की शांति है--
हमने अनजाने ही बहुत बड़ा काम किया है--
सरस्वती को लक्ष्मी का स्थान दिया है॥2॥
पर मित्रों! जो दिख पड़ती है..वही सच्चाई नहीं होती।
जुए से कभी किसी की भलाई नहीं होती॥
धृतराष्ट्र की सभा में फिर परीक्षा की घडी है।
और जनता द्रौपदी से हॉट सीट पे खड़ी है॥
(ये रचना मैंने KBC १ के समय लिखी थी...कालांतर में भी इसकी प्रासंगिकता यथावत है)